सावन सोमवार के दिन भगवान शिवजी की पूजा और व्रत रखने के कई महत्व हैं। लोग कहते हैं कि ऐसा करने से भोलेनाथ अपने भक्तों को सभी दुखों से छुटकारा दिलाते हैं। और सावन सोमवार करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा पाठ और सोमवार व्रत रखने का विशेष महत्व है।
सावन सोमवार का व्रत किस लिए रखा जाता है।
मान्यता यह है। कि माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तप किया था। दूसरी ओर पुरानी मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है। कि सावन के महीने में भी समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन से निकले हुए विश को भगवान शिव ने ग्रहण किया था।
सावन में कितने सोमवार का व्रत रखना चाहिए?
व्यक्ति सोलह सोमवार व्रत कार्तिक और मार्गशीर्ष महीने में शुरू किया जाता है।लेकिन श्रावण के महीने में पड़ने वाले सोमवार से 16 सोमवार व्रत शुरू करना सबसे अच्छा माना गया है। इस माह से सोलह सोमवार का व्रत करना बहुत अच्छा माना जाता है।
सावन के पीछे का क्या रहस्य है?
भारतीय पुरानी कथाओं के अनुसार सावन का इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा है जब देवताओं और बुरी शक्तियां (असुर) अमृत या अमरता के अमृत की तलाश में एक साथ आए थे। इस घटना के कारण समुद्र मंथन हुआ। जिससे आभूषणों और जानवरों जैसी कई चीजें निकलीं।
काबड़ यात्रा। सावन के सोमवार पर काबड़ यात्रा
पोराडिक गाथाओं के अनुसार मानना यह है। कि शिवजी के भक्त रावण ने भगवान शिवजी के गले की जलन को कम करने के लिए उनका गंगाजल से अभिषेक किया था। रावण ने कांवड़ में जल भरकर भागवत स्थित पुरा महादेव में भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इसके बाद से ही कांवड़ यात्रा का चलना शुरू हुआ। इसमें भक्त गंगाजी से गंगाजल ला कर अपने कुल देवी देवताओं और मंदिरों पर शिवजी पर गंगाजल विशर्जित करते हैं।